AGOSH 1
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टूटी की वूटी बनकर हनुमत मेरे आ जाना
बीच भँवर में नैया डोले उसको पार लगा जाना ।
तन -मन से हनुमत मैने तुमको पुकारा है ,
चारों ओर निगाह घुमा ली कोई नहीं सहारा है । (१)
बल बुद्धि के हो तुम दाता बिगडे काम बनाते हो ,
गर किस्मत सोई हो तो तुम्ही उसे जगाते हो ।
भूत ,पिशाच नृप सब तुमसे डरते ,
जो संकट में तुम्हे पुकारे उसकी विपदा हरते । (२ )
हनुमत तुमने राम नाम की मन में छवि रमाई,
एक जरा सी बात पर अपनी छाती फाड़ दिखाई ।
श्री राम जानकी के दर्शन साक्षात् कराये,
इस द्रश्य को देखकर देवता भी हर्षाये । (३ )
तेरी क्रपा की आस हमने भी लगाई ,
राम नाम की पूजा करके जीवन डोर तेरे हाथ थमाई ।
अब ना देर लगाओ हनुमत क्रपा द्रष्टी डालो ,
बिगड़ रहे जो काज हमारे उनको तुम्ही सँवारों । (४ )
डॉo हिमांशु शर्मा (आगोश )
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