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अन्दर बाहर बड़ी खुशी है, हर्षाया-हर्षाया मन है ।
इस युग की उपलब्धि यही है, कलाकार की कला दर्पण है।।
बाहों में भरते हो हंसकर, मन में भी अपनापन है ।
रिश्तों के बंधन से अच्छा, सुगंध भरा फुलों सा मन है।।
अन्दर बाहर बड़ी खुशी है, हर्षाया-हर्षाया मन है ….’.(1)
कला सृजन और वर्धन में, श्री अनुराग जुटे हुए हैं ।
इनकी कीर्ति फैले विश्व में, कला से अनुराग बहुत है ।
जल उठेंगे ढेरों चिराग, इनसे कला मंच सजे हैं ।
‘यूनाईटेड आर्ट फेयर’ कला मंच बनेगा, कलाकार इससे जुड़े हुये हैं ।
अन्दर बाहर बड़ी खुशी है, हर्षाया-हर्षाया मन है …..(2)
. .कलाकार प्रवर्तियों से विशाल हैं, उसकी भाव राशी अथाह होती है ।
कला विचारों का प्रतिबिम्ब है, ईश्वर की पूर्ण छाया होती है ।
भावनाओं का प्रवाह जब रोके नहीं रुकता, कला रूप धर लेती है ।
कला विचारों को दर्शाती, प्रकृति का अनुसरण करती है ।
अन्दर बाहर बड़ी खुशी है, हर्षाया-हर्षाया मन है …..(3)
अनुराग भौरा बनकर, हम कला मंच सजाते हैं ।
कमलों की पांती की भांति, चारों तरफ यश फैलाते हैं ।
ऐसे हैं हम पारस पारखी, सोने की चमक बढ़ाते है ।
क्षमा करो भूल हमारी, हम सबका अभिनन्दन करते हैं’ ।.
अन्दर बाहर बड़ी खुशी है, हर्षाया-हर्षाया मन है ..,(4)
हिंदी लेखक डॉo .हिमांशु शर्मा ‘(आगोश )
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