गुरु को कोटि-कोटि प्रणाम ‘
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सर्व प्रथम प्रणाम उस गुरु को जिसने अपनी प्रथम पाठशाला में ज्ञान रूपि दीपक को प्रथम बार दिखाया अर्थात प्रथम पाठशाला की प्रथम गुरु माँ को शत, शत नमन,,,,
जीवन का प्रत्येक पल उस भगबान स्वरूपा गुरु के चरणों मे झुका रहे,जिसने वीणा बादनी की वीणा के तारों की तान को छेडकर इस जीवन को अलंकृत किया| गुरु भक्ति के प्रति मेरा भाबुक मन सदैव प्रीत बनाये रखे और जीवन गरु भक्ति के गीतों को गुनगुनाता रहे| मै अपने गुरु को अपनी अंखियो मे बसाकर रखूं, ह्रदय मे गुरु भक्ति का दीप हमेशा प्रज्वलित होता रहे तथा जब भी अंतरात्मा से गुरु को पुकारूँ, गुरु का प्रतिबिम्ब मेरी आँखों के सामने आ जाय और कृतज्ञ होकर गुरु के चरणों मे नतमस्तक हो उनका अमूल्य आशिर्वाद प्राप्त कर सकूँ|
गुरु भक्ति के तरानों का गुणगान बारम्बार दोहराता रहूँ ,मेरे गुरुओं का परचम आकाश की ऊंचाईयो को हमेशा
छूता रहे |
सभी गुरुओं एबम गुरु के हर रूप को अनुराग शर्मा का कोटि -कोटि प्रणाम एबम शत,शत नमन ,,,,,,,,,
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