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‘शर्मदार को इशारा काफी है’

AGOSH 1
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एक पागल रोज सड़क चलते राहगीरों को पत्थर मारता था। एक दिन वह चुप-चाप शांत जा रहा था। किसी ने उससे कहा ‘आज तू बड़ा शांत है जो पत्थर नहीं फैक रहा, तब पागल ने कहा  ‘मै तो भूल गया था, तुने मुझे याद दिला दी और फिर वह पत्थर फैकने लगा ।

रोज घोटालों का शोर उठता रहता है। जनता उस पागल की तरह भूलना चाहती है, परन्तु ‘घोटाले पै घोटाले ‘ जनता को आन्दोलन अनशन -घेराव करने को मजबूर कर रहे हैं, जनता उबल रही है।

“पानी की बौछारों मे और डंडों की फटकारों में,

डटे हुए हम सीना ताने सत्ता के गलियारों में”।

अब जनता का सीधा लक्ष्य अर्जुन की ‘चिड़िया’ की आँख की तरह संसद और सरकार पर है ।-

“वत्स डिगन ना पाये लक्ष्य, हरि इच्छा अंतिम है यह”।

गुरु द्रोणाचार्य ने अर्जुन को सावधान कर दिया और अर्जुन ने लक्ष्य भेद दिया था ।
अन्ना, बाबा रामदेव, केजरीवाल तीनों अपने लक्ष्य को भेदने में लगे हैं । ज्यामिती का नियम है तीन बिंदु एक सीध मे हों और तीनों को मिला दिया जाय तो एक सीधी रेखा तैयार हो जाती है ,इसलिये ‘मिशन भ्रष्टाचार’, मिशन काला धन प्रगति पर हैं।सावधान जागते रहो ।
दोनों संसद सभा ठप्प हुई कोयला की दलाली में। जनता पूंछ रही है नेताओं क्या कमी रही संविधान बनाने में ।

नमस्ते जय हिंद

लेखक डॉo हिमांशु शर्मा(आगोश)

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