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‘चार छंद’ (छुट भईया नेता)

AGOSH 1
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‘किसकी हो सरकार हमें क्या लेना देना,
अपना हो जाय काम हमें बस यही रोना ‘।

नित उठ करें प्रणाम राष्ट हमें भ्रष्ट बतावें ।
बिन नेता गिरी कैसे जियेंगे यही दुख हमें सतावें।
कितने हम बेचैन हमारा बेहाल बतावें।
सत्ता मे कानाफुंसी करें हमें दलाल बतावें ।

(1)

कुर्ता मैला हो गया साबुन ने सुध बिसराई ।
दुर्गती होती देख नील ने आंख चुराई।
किससे करें पुकार अपनों ने सुध बिसराई।
नेता नाम गाली बना वक्त नें ली अंगड़ाई ।

(2)

नेता हुए गिरफतार याद आ रही अम्मा।
पैदा हुए कपूत कह रहा गली का जुम्मा।
लेकर हम से वोट झूठ बोल गया निकम्मा।
होकर रहेगा बंद जेल मे गायेगा राजनीति का नगमा।

(3)

लूट लिया देश को सोये मीठी तान ।
ऐसे देश लुटेरों से कैसे बचे हिंदोस्तान।
लगे जनता की वदुआ खाये कैद मसान।
जीते जी घर इनका बन जाये शमशान।

(4)

लेखक डॉo हिमांशु शर्मा (आगोश )

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